11-10-2021
अगर आप जिंदगी सें परेशान हैं तो जरूर पढें
जीवन क्यों जियें, यहाँ से सबसे बड़ी खुशी क्या है?
महाराष्ट्र के महान साहित्यिक पु ल देशपांडे के रिश्तेदार चंदू ठाकुर वायुसेना में थे। उनके एक करीबी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी। ऐसे मौके पर उन्होंने जीवन से निराश होकर पु. ल. देशपांडे को एक पत्र लिखा।
उस पत्र को पु. ल. देशपांडे द्वारा लिखे गए उत्तर का एक लेख हम आपके सामने पेश कर रहे है..
10 जुलाई 1957
प्रिय चंदू।
वायुसेना छोड़करआप सोचते हैं, "मैं क्यों उड़ूं?" -
अरे भाई चंदू, सरकारी ऑफिस का क्लर्क न थकते हुये दिन रात काम करता है जब तक गर्दन के कांटे नहीं टूटता तब तक। इतना क्लर्क थकता क्यों हैं ? महिलाओं को प्रसव पीड़ा क्यों होनी चाहिए? गायकों को इतना क्यों गाना चाहिए? चित्रकारों को चित्र क्यों बनाने चाहिए? संसार में किसी को दुःख क्यों देना चाहिए? यह प्रश्न उतना महत्त्वपूर्ण नही है। महत्वपूर्ण प्रश्न ये है। कि संसार में किसी दूसरे को सुख क्यों देना चाहिए। बुद्धिमान व्यक्ती को इन प्रश्नो का अनुसरण नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये सब सृष्टी चक्र किस लिए है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
ये ऐसा क्यों? ऐसा क्यों? इस बात पे बिल्कुल भी ध्यान मत दो हमे ही हमारे अर्थहीन जीवन को सही दिशा मे ले जाना पडता है। यदि नहीं तो मेरे भाई मुझे ये बचाओ कि फूल क्या है? कुछ केशर जैसे किंजल्क का मुलायम टुकड़ों का गुच्छ, है न? लेकिन हमने उसे अर्थ दिया। किसी ने अपनी प्रेमिका को दे दिया। किसी ने भगवान के चरणो में अर्पण किया। किसी ने अपना कोट में लगाया। किसी ने अपने द्वार पे तोरण बनाकर लगाया। किसी ने अपने घर में फुलो की सजावट की और फूल को समझा। ठीक इसी तरह जिंदगी को अर्थ देना चाहिये। जिंदगी मे कुछ देने से अच्छा कुछ देना सबसे बेहतर है। निरपेक्ष बुद्धी से उसे देना पडता है तो भी जिंदगी का अर्थ समज आता है और जिंदगी जीने मे मजा आता है।
जिंदगी के उन पलों का मजा ही कुछ और है जो अगर किसी और को वक्त दिया जाए तो वो जिंदगी सोना बन जाती है, नहीं तो वो सिर्फ मिट्टी होती है। इसलिये से खुद का विचार छोडके औरो के लिए जीना सिखो अगर ऐसा करोगे तो तुम इस संसार के सबसे आनंदित व्यक्ती बन जाओगे।
जब मे सिर्फ खुद के बारे मे सोचा था तब मुझे भी अपनी जिंदगी बेकार लगती थी। मेरे जीवन में अच्छा महसूस करने का एकमात्र कारण यह है कि मैं किसी और के जिंदगी में खुशिया भर सकता हूं, दुसरो के बारे में सोचना हमें परेशान नहीं करता है। और हम कभी दुसरो के बारे मे सोचते भी नही है। और जो दुसरो के बारे मे सोचते हैं, वे भाग्यशाली जीवन में अर्थ लाते हैं!
जिंदगी एक खेती कि तरहा है हमे उस्मे बीज बोते रहने चाहिये जो फसल आयेगी वो आयेगी फिर आप किसी भी क्षेत्र में क्यों ना हो हो उससे कोई फर्क नही पडता कि आप पायलट हो या कुली हो। अगर बोझ उठाना ही पड रहा है तो क्यो ना खुशी से उठाए । निराशा की चिंगारी को पैरो तले कुचल देना चाहिए। झुंझलाहट, बोरियत मुझे भी मेहसूस होती है। संकुचित विचार और स्वार्थ भरे मतलब की सोच मुझे भी परेशान करती है। लेकिन मुझे ये चिंता होती हैं कि कोई भी मुझमें इतना स्वार्थ और मतलबीपन न पाए। इस जीवन को सही अर्थ प्राप्त होता है। मन का अम्ल नष्ट हो जाता है।
तुम किसी दार्शनिक को पढ़ने के बजाय अच्छे लेखकों को पढ़ा करो। डोस्टोवस्की – गोर्की – डिकन्स – शेक्सपियर इन्हें पढ़ो । ये वो लोग हैं जो जीवन में रंग भर देते हैं। दार्शनिक विचारो से मैं कभीभी सहमत नही हुआ।
तुम अपने दरवाजे के सामने फूल लगाना शुरू करो! परफ्यूम के प्याले का ढक्कन खोलने की तरह जिंदगी की खुशियां बहेगी और मजा आ जाएगा!
तुम्हारा प्यारा साथी चला गया है, और तुम दुखी हो। यह स्वाभाविक है। अंतर्मुखी होना भी स्वाभाविक है। आप कहते हैं कि,
their deaths were not justified.
My dear boy, whose deaths are justifiable?
मेरे एक भाई की ग्यारह वर्ष की आयु में दवाई की कमी के कारण मृत्यु हो गई। मेरे पिता बेहद अच्छे ईमानदार इन्सान थे। पचास वर्ष की आयु से पहले ही उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। कल ही मुंबई में गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। और हिरोशिमा? क्या मुझे इसके बारे में लिखना चाहिए?
जिस दिन जन्म लेना justifiable होगा, उसी दिन हम मृत्यू का justification तलाश करेंगे। लेकिन हमें इस पल का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए और जिंदगी की खेती मे सोना उगाना चाहिये।
इसीलिए मेरे दोस्त! मन एक कुडा भरने का पात्र नहीं है कि इसमें
तुम क्रोध, घृणा, अपमान, स्वार्थ, मत्सर भरते रहो ..!
ये तो मन है।
यह प्यार, खुशी और मीठी यादें रखने के लिए एक तिजोरी समान बॉक्स है।
इसलिए अच्छी बातो पर ध्यान दो
नमस्ते