व्यक्तीत्व (Personality) का विकास कैसे करे? Personality Development

व्यक्तीत्व (Personality) का विकास कैसे करे? Personality Development

व्यक्तीत्व (Personality) का विकास कैसे करे? Personality Development


युवाओं को व्यक्तीत्वविकास(Personality) की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए!
    जो इन्सान किसी को बुरा कहता है, किसीसे बुरा कहलवाता है; ना किसी के बारे में बुरा सोचता हैं। चोट खाकर भी तो चोट करता है, किसी सें चोट करवाता है, अपराधीयों को भी क्षमा कर देता है । ऐसे मनुष्य का देवता भी फुलो सें स्वागत करते हैं ।
भारतवर्ष के युवाओं! जवानी ढल रहीं हैं। समय हैं कुछ नया करनें का। नहीं तो बुढापा आने के बाद कुछ भी बदला नहीं जा सकता । अभी सें शुरुवात करोगें तो सफलता के उच्च शिखर पर पहुच जाओगें । नहीं तो जहां के वहीं पडे रहोगे ।
देखते ही देखते युवावस्था कब ढल जाती हैं हमें पता भी नही चलता । इस विषय में एक सुभाषित हैं ।
#अध: पश्यसि किं बाले! पतितं तव किं भुवि ।
रे रे मूर्ख! न जानासि गतं तारुण्यमौकित्कम् ।।
         एक बूढी औरत कमर में बहुत झुकी हुयीं खी। मानो चलते हुये, उसके हाथ सड़क को छू रहे हों। सड़क पर चल रहे एक उदंड युवक ने मजाक उडाने के इरादे से उससे पूछा, "ओ बुढी औरत! क्या तुम्हारा कुछ खो गया हैं। जो तुम निचे झुकते हुए उस वस्तु को ढुंड रही हो?" तो उस बुढी औरत ने जबाब दिया " अरे मुढ! तुम मंदबुद्धी हो! क्या तुम इतना भी नहीं समझते की, मैंने अपनी जवानी का मोती खो दिया है। उसे ढुंड रही हुं।''  फिर उसने कहां'यौवन वह है जो चला जाता है, लेकिन कभी वापस नहीं आता ।'  इसलिए युवाओं को व्यक्तिगत विकास के सभी अवसरों का लाभ उठाना चाहिए, आगे भविष्य में आनेवाली की चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक और नैतिक रूप से मजबूत और समृद्ध होना चाहिए। जन्म सें ही कोई गुणवान पैदा नहीं होता। अच्छा बनना गुणवान होना हमारे उपर निर्भर करता हैं । हमें व्यक्तिगत विकास के लिए यौवन दशाहीं सबसें बडा अवसर हैं।
एक कहावत हैं
जवानीं में जोश होता हैं लेकिन होश नहीं होता ।
बुढापें में होश आता हैं । लेकिन जोश चला जाता हैं।
         इसलिए उत्तिष्ठ, जागृत, प्राप्य वरान्निबोधत। उठो! जागो! और अपने आप को सबसे बेहतरीन बनाओं । कुछ नया करके दिखाओं ।
          जवान, युवान उसे कहते हैं । जिसके हाथ अगर ऊपर हों, तो हाथ उठाने कें लिए नहीं बल्की समाज के पाखंड के खिलाफ दो दो हाथ करने के लिए । और जो युवक कुछ नया करना चाहता हैं । एक नई दुनिया बनाना चाहता है। उसका लक्ष्य हमेशा ऊंचा और महान होना चाहिए हैं उसे हीं जवान कहां जाता हैं। जिसे जिना किसलिए और मरना किसलिए ये पता हो उसे यौवन कहतें हैं । इंद्रियों में फसकर जवानी सुवर्ण दिन बर्बाद करनेवाले भाग्यहिन को युवान नहीं कहतें।
यौवन के लक्षण उपनिषदों में वर्णित हैं
युवास्यतः साधु, युवाध्यायकः । आशिष्ठो, दृढिष्ठो बलिष्ठः।।
         एक युवक मन सें अतिसरल हो । निष्कपट हो। और चंचलतारहीत हो। और वह गर्व के बिना सफलता का जश्न मनाता हो । और बिना कारण बताए असफलता को स्वीकार करने में सक्षम होना चाहिए। और वह अध्ययनशील होना चाहिए। उसके अंदर हमेशा कुछ नया सिखनें की जिद होनी चाहिए। यदि आप जीत नहीं सकते हैं, तो अपने से आगे वालो का रिकॉर्ड तोड़ दें - यही उसका प्रयास होना चाहिए। हमेशा सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करें
         कुछ नया करने के लिए उसे हर प्रकार के बुरे समय के लिए तैयार रहना चाहिए। हार के डर से बीच में ही अपना लक्ष्य छोड़नेवाला कभी कामयाब नहीं होता। और जो हमेशा जीत की इच्छा रखता हैं वह किसी भी काम को बीच में नहीं छोड़ता। इसलिए युवक को हमेशा दृढ़ निश्चयी होना चाहिए।
         बर्नार्ड शॉ ने हमेशा कहां करते थे, "मैंने नोटीस किया है कि मेरे 10 में से 9 प्रयास विफल हो जाते हैं। फिर मैंने अपने प्रयासों को सौ तक सीमित रखने का फैसला किया।
         महाराष्ट्र के समाज सेवक बाबा #आमटे कहते हैं कि हर व्यक्ती में तेजस्विता, तपस्विता और हर कार्य में तत्परता होनी चाहिए । तेजस्विता का अर्थ है वीरता और निडरता। डर और रणनीति कभी एक साथ नहीं चल सकते। डर नकारात्मक चीजों का एक अंधेरा कमरा है। तपस्या अच्छे व्यवहार और चरित्र की प्रतिभा है, जबकि तत्परता आत्म-बलिदान, समाज के प्रति प्रतिबद्धता कर्त्तव्य, उत्तरदायित्व का दृष्टिकोण है। समाज के प्रति  #वसुधैव कुटुंबकम्‌कि भावना हैं ।
         इसलिए विवेकानंद ने कहा हैं, "मुझे नचिकेता जैसे सौ युवक दे दो, जिनकी मांसपेशियां लोहे की हैं, जिनकी छाती एक शेर की छाती है, और जो हर जगह जाने की तीव्र इच्छा रखते हैं, चाहे वह पाताल हो। समुद्र हो या अंतरिक्ष। पर्वत की चोटी तक जाने कि प्रबल इच्छा रखने वाले ऐसे सौ युवक दो ताकि मैं इस राष्ट्र का नवनिर्माण कर कें दिखाउंगा।”
         युवाओं को युवाओं की तरह दिखना और महसूस करना चाहिए। युवाओं को अंग्रेजी में 'Youth'  कहा जाता है। इस शब्द में ही यौवन के लक्षण वर्णन हैं।

Y = Yearning for learning (सीखने की लालसा)
O = Obedience (आज्ञाकारिता)  
U = Usefulness to society (समाज के लिए उपयोगिता)
T = Truth (सत्य)
H = Healthy (स्वस्थ)

    युवाओं में सद्गुणों की आकांक्षा, बुराइयों को मिटाने जुनून, व्यायाम सें लगाव और अध्ययन से प्यास होना चाहिए। उके हाथ हर काम में शक्तिमान हों, उनकी बुद्धि सर्वव्यापी हो और उनका हृदय सर्वशक्तिमान हो ।
    लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए की हम चाहे कितने भी सफलता की चोटी पर हो किंतु व्यर्थ के अहंकार और झूठे दिखावे में ना पड़ें हमे कभी न कभी शर्मिंदा होना पड़ सकता है। झुठा दिखावा और अहंकार ही हमारे पतन का कारण बन सकता हैं।
रहीम दास ने कहा है...
"बडे बडाई ना करें, बडे बोलें बोल ।
रहिमन हीरा कब कहे, लाख टके मेरो मोल ॥"
जो सबसे बेहतर हैं वो कभी खुदकी तारिफ नहीं करता । क्या कभी हीरे करो कहतें सुना हैं की, मेरा मुल्य १ लाख हैं।

युवक ध्यान रखे की,
         परिवर्तन से डरना, और संघर्ष से कतराना, मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता हैजीवन का सबसे बड़ा गुरु हमारा बुरा वक्त होता हैक्योंकि जो वक्त सिखाता हैवो कोई नहीं सीखा सकता

Thank you

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