संसार बीमारी तथा उस का इलाज- जरा हठ (जिद) कर के देखें तो सही - Mahanubhav panth dnyansarita
भगवान श्री चक्रधर स्वामी जी ने ब्रह्मविद्या शास्त्र के एक वचन में कहा है कि जैसे एक बच्चा अपनी बात मनवाने के लिए माता पिता से हट कर के अपनी मांग पूरी कर लेता है। चाहे माता पिता में शक्ति हो या न हो उन्हें उस की बात माननी ही पड़ती है।
इसी प्रकार जीव यदि हठ कर के बैठ जाए तो हम उसे क्या कुछ नहीं दे सकते। धन की कमी हो, बेटा या बहु बीमार हो, घर में सन्तान न हो या ओर कोई उलझन , परेशानी हो तो पीछे लिखे अनुसार सुबह 6 से पहले 21 दिन की सेवा स्मरण करें। यदि भगवान 21 दिन में प्रसन्न नहीं हुए तो ओर कुछ दिन बढा कर 40 दिन तक ले जाएं। क्या लगता है। क्या खर्च होता है। हजारों रूपये डाक्टरों को देने की बजाए यह सस्ता तथा सरल ईलाज करें।
मन की समाधानी के लिए साथ साथ कोई मामूली दवाई भी लेते रहें परन्तु ज्यादा ध्यान ओर विश्वास स्मरण सेवा पर होना चाहिए। स्वामी जी का दुसरा वचन है कि जो देवता शक्ति किसी पिछले पाप कर्म का दंड भुगवा रही है, जब तक वह समये समाप्त नहीं हो जाता तब तक डाक्टरों की दवाएं वैद्यों हकीमों की गोलियां क्या करेंगी। क्या वह इतनी बडी देवता शक्तियां दवाई की गोलियों से डर कर दु:ख भुगवाना छोड देंगी ?
इसी लिए डाक्टरों ने लिखा होता है ! I Treat God Cure मतलब कि मैं इलाज करता हूँ, आराम भगवान देते हैं। जब तक पाप कर्म की सजा (दण्ड) समाप्त नहीं होता तब तक चाहे दस डॉक्टर बदल लें बीमारी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जब दण्ड समाप्त होने का समय पूरा होने को आता है उस समय धीरे -धीरे फर्क पड़ना शुरू हो जाता है तथा उस समय जिस डाक्टर का ईलाज चल रहा होता है, प्रशंसा उस की हो जाती है।
वाह वाह कमाल कर दिया इस डाक्टर ने यह डाक्टर बहुत होशियार है। मेरी बहनों डाक्टर पहले सारे मुर्ख नहीं थे परन्तु वह क्या करते जब कि दण्ड भुगवाने वाली शक्ति छोड़ नहीं रही थी। अब समय समाप्त हुआ तो नाम इस डाक्टर का हो गया।
आशा है कि मेरी बहनें बीमारी ओर इलाज के बारे अच्छी तरह समझ गई होंगी। ईलाज कौन सा करना है यह स्वयं विचार करें। हाँ! एक ही ढंग है रोग से जल्दी छुटकारा पाने का। 2/3 वर्ष की बीमारी महीने दो महीने में समाप्त करने का। जल्दी से जल्दी दुःख चिन्ताओं को दूर करने का ।
प्रेम पूर्वक प्रसन्न चित्त से लग जाओ स्वामी जी के पीछे हाथ धोकर और रो रो कर दु:ख प्रगट करते हुए अपने पाप कर्मों की माफी मांगते हुए स्मरण सेवा करते जाओ।
यदि भगवान फिर भी पुकार नहीं सुनेंगे तो वह दयालू कृपाल-मयालू किस बात के हुए। यदि बच्चे के रोने और जिद करने पर भी माता पिता उस की तरफ ध्यान नहीं देते तो वह माता पिता ही नहीं अवश्य ध्यान देंगे पूर्ण विश्वास रखें। धन की कमी हो तो भी यही उपाय है।
परन्तु याद रखें भगवान को प्रसन्न करने के लिए, बीमारी से छुटकारा पाने के लिए भगवान के श्री चरणों में बैठ कर प्रतिज्ञा करें कि मैं ठीक होने पर हर रोज सुबह एक घंटा तथा शाम एक घंटा स्मरण सेवा में लगाऊंगी।
यदि धन की कमी हो तो भी भगवान से प्रतिज्ञा (Promise) करें कि मेरी यह परेशानी दूर होने पर मैं अपनी कमाई का 10 वां भाग संत महात्माओं के भोजन व धर्म कार्यों में लगाऊंगा तथा इसी प्रकार सदा स्मरण सेवा भी करूंगा। क्योंकि मतलब की भगवान को पसंद नहीं।
काम हो गया कि जाओ भगवान आप अपने घर बैठो। मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं हम पूर्ण विश्वास और गारंटी से कहते हैं कि आप की कठिन से कठिन समस्या (Problem) भी मेरे प्यारे प्रीतम श्री चक्रधर स्वामी जी दूर करेंगे। यह प्रचार करने वालो कि भगवान श्री चक्रधर स्वामी जी केवल मुक्ति ही दे सकते हैं, भुल जाओ ।
""भगवान अनार्जित दाता हैं."
जो कर्मों में नहीं, धन पदार्थ सुख शांती सब कुछ दे सकते हैं। 'निर्धन धनवान नहीं बन सकता यह बात मन से निकाल डालो जिस धन के लिए दिन-रात खून पसीना बहाते हो वह फिर भी नहीं मिलता उसके लिए जरा ये ढंग अजमा कर देखो।
जरूरी सूचना:- फिर वही बात याद दिलाती हूँ कि जो भी इच्छा हो मन में ही रखें मुँह से उच्चारण नहीं करना कि मेरा यह काम भगवान पूरा करें। स्मरण के बाद यही कहो कि भगवान “मुझे कुछ नहीं चाहिए केवल आप चाहिए आपका प्रेम चाहिए।"