महानुभाव भजन लिरीक्स - Bhajan lyrics
1) भजन
गीता मदान (गाँधीनगर दिल्ली)
प्रभु जी! तेरे स्मरण का इतना असर हो जाए ।
खुले जब आँरव मेरी सांवली मूरत नजर आए ।॥
जीते हैं प्रभु का नाम लेकर मरने पर प्रभु का नाम होगा ।
मुँह से उठाए कफन कोई तो मुंह में चक्रधर नाम होगा ॥
दर्शन होंगे श्री चक्रधर जी के, होगी तमन्ना तभी पूरी
आपके दर्शन बिना ज़िन्दगी रह जाएगी अधूरी ॥
हरदम आँखें तरसती हैं प्रभु के दीदार को मेरी ।
प्रभु के स्मरण में गुजरती है दिन और रात मेरी |
सामने आते नहीं प्रभु पर ध्यान में समाए रहते हैं ।
आँखों से भले ही ओझल हैं पर दिल में समाए रहते हैं ॥
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2) भजन
शशि खन्ना (दिल्ली)
स्वामी जी ! मैं हूँ, इक बेचारी ।
आई हूँ प्रभु ! शरण तिहारी ।
स्वामी जी ! आप बिना नहीं कोई मेरा,
चारों ओर है छाया अन्धेरा ।
बनके सखा अब दे दो सहारा,
आई दर पर बनके भिखारी ॥
स्वामी जी मेरे तो आप ही तारक
मुझ पतिता के, बस आप उद्धारक ।
जल्दी से काटो जी मेरे भव बन्धन ।
मैं हूँ दीन-हीन और दुखियारी ॥
स्वामी जी! आपसे इतनी अरज है,
प्रेम और भक्ति की ही तलब है ।
महादेव भक्त सा प्रेम मैं पाऊं ।
बाईसा हो जाऊँ मैं प्रेम में तिहारी ।।
आई हूँ जी ।
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3) भजन
आन पड़ी मझधार कृष्णा नाव मेरी
तू है खेवनहार कृष्णा नाव मेरी ।धृ०।
मोह निशा का हुआ अंधियारा, षड विकार तूफान करारा।
किसी ओर मिलता न किनारा तेरा ही है एक सहारा ||
चाहे डूबो चाहे तार, कृष्णा नाथ मेरी २॥
तू केवट है बहुत पुराना, किस किसने है तुझको न बचाना।
विपत्ती पड़े मैंने पहचाना, अब है और न मुझको ठिकाना।
पल में करदे वार, कृष्णा नाव मेरी |२॥
खर्च राह का खूट गया है, विषय, स्वास धन लूट गया है।
बल का डांडा टूट गया है सहारा सारा छूट गया है।
तू हो पार उतार कृष्णा नाथ मेरी |३|
अब तक हल्की दूब रही है, चलती फिरती खूब रही है।
अब भंवरों में ऊब रही है, बिन्दु भार से डूब रही है।
करके दया उबार, कृष्णा गाव मेरी |४|
आन पड़ी मझधार, कृष्णा नाथ मेरी ।
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4) भजन
नाम जपन क्यों छोड़ दिया। धू० ।
क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा, सत्य वचन क्यों छोड़ दिया '।१।'
झूठे जग में जी ललचाकर, असल वचन क्यों छोड़ दिया |२|
कौडी को तो खब सम्भाला, लाल रतन क्यों छोड़ दिया ।३।
जिस सुमिरण से अति सुख पावे, तिस सिमरण क्यों छोड़ दिया। ४।
'खालस" एक भगवान भरोसे तन, मन धन क्यों न छोड़ दिया । ५।
नाम जपन क्यों छोड़ दिया।
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5) भजन
'श्री चक्रधर' नाम से तर जायेंगे हम ॥
विश्वास है हमारा भवसागर तर जायेंगे हम ॥
केल जग में वही है आधार छोड़ दो सब गम
'श्री चक्रधर' नामसे तर जायेंगे हम ॥
सन्त जन कहते प्रभु नाम जपो रे ।
उसी के सहारे हर काम करो रे ।
कर देगा प्रभु बेड़ा पार सभी का
लो नाम बडे प्रोम से श्री चक्रधर प्रभु का ॥
आचार्य नागदेव जी बने उन्ही की कृपा से
आप भी सहारा लो प्रभु की शरण हो के ।।
जीवन को आंधी में सहारा है प्रभु नाम का।
वरना भटकते रहोगे अज्ञान के तुफान में
अशांत जीवन को शांति में बदल दो ।
प्रभु नाम का सहारा सबको दिला दो ॥
इक दिन कूच करोगे जहां से ।
क्या ले जावोगे साथ में ? बताओ मझ से ॥
अच्छा जो करो तो नाम दुनियां में होगा।
बुरा जो करोगे दिन रात पछताना पड़ेगा ।
अब सम्भल जावो भूल सुधारो ।
भाई 'चक्रधर' नाम पुकार के जीवन को उभारो ।
यह प्रार्थना है भक्त की सभी जनों से ।
दिन रात भजो प्रेम करो प्रभु नाम से ।
कवि - नामदेव कृष्णाजी आंबेकर
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6) भजन
श्रीकृष्ण
भगवान के दर्शन कें लिए कैलास पर्वत सें आये महादेव और यशोदा माता का संवाद इस भजन में लीखा गया हैं ।
भजन
(तर्ज :-मेरा मन डोले... ... )
शंकर :- दिवादे सांवरियां दिखाई सांवरियां ॥धु॥
देर न ला जल्दी दिखला, मेरा जन्म 2 दा प्यार रे, माता ॥१॥
माता :- जा दूर जा बहुता शोर न पा. तू न कर अन्त करार रे।
मैं ना दिखाऊं सांवरियां १॥
बाबा हुने 2 मेरा बालक सोया, बाया शोर न पाई
ले भिक्षा विच पाले झोलो, डमरू न खड़काई ।
बाबा-2 जा टूर जा....॥२॥
शंकर :- भिक्षा दो कोई लोड़ न मैनू न भिक्षा लई आया ।
मन मोहन दे दर्शन खातिर अपना प्यार जताया।
ओ माता ! अपना प्यार जताया ॥३॥ देर न ला जल्दी....
मय्या :- गल तेरे विच नाग भयंकर, नंनादे विच लाली ।
देख के मोहन डर जाएगा, सूरत भूतां वाली।
बाबा ! सूरत भूतां वाली ॥४॥ जाटर जा......
शंकर :- नाग ए मेरे कुछ नही कहवे ए भी दर्श के प्यासे ।
मन मोहन दे दर्शन खातिर, लटकन आसे पासे
ओ माता-2 देर न ला॥५॥
पता हुआ जदों पाता मैंनू, पैदा हुए मुरारो।
नंगी पैरी चल के आया छडके बैल सवारो।
देर न ला जल्दी दिखला |६|
- ललीता देवी अबरोल ( गढी जे. एन्ड के.) -