13-6-2022
हिंदी श्रीकृष्ण सहस्रनाम स्तोत्र - hindi Krishna Sahasranamam Lyrics
हिंदी श्रीकृष्ण सहस्रनाम स्तोत्र
कवि :- म. कै. श्री कृष्ण प्रेमी (अमृतसर)
दोहा
मंगलाचरण
नील वर्ण तनु पीतपट,
सुन्दर कृष्ण मुरारी
प्रेमी के मन में
बसें, श्री मोहन कंसारी ।।
वासुदेव त्रिभुवन पति,
सकल विश्व चितचोर ।
दीजो भिक्षा प्रेम की,
सुन्दर नन्दकिशोर ।।
वन्दु गुरुपद पुनित, लिखूँ सुन्दर नाम हजार ।
प्रेमी जिन के स्मरण से हों प्राणी भव पार ।।
चौपाई
कमल नैन केशव कंसारी ।
कृष्णचन्द्र गुणनिधि बनवारी ॥
मुरलीधर मोहन व्रजईशा । अलख अनादि प्रभु जगदीशा ॥
कृपासिन्धु दीनन
हितकारी । दीनानाथ दयालु खरारी ॥
देवकीनन्दन नन्ददुलारा
।
यशुमति सुत त्रिभुवन उज्यारा ॥
निर्विकार निर्गुण
भगवाना । अपरंपार कृपालु
सुजाना ॥
कृपा सिन्धु वृज भूषण
स्वामी । असुरारि गुरु अन्तर्यामी ॥
अर्जुन सखा ईश गोपाला
। दैत्यारि घनःश्याम दयाला ।।
दुष्टदमन भक्तन
सुखदाता। जग तारणकर्ता पितु माता ॥
परब्रह्म परमेश्वर
सुन्दर । माखनचोर मुकुन्द मनोहर ।।
जगदाधार विश्वपति
पावन । तिमिर हरण त्रयताप नशावन ।।
गोप सखा गोकुल के
वासी । गुणनिधान सर्वज्ञ उदासी ॥
मोर मुकुटधारी
भगवन्ता । अखलेश्वर मन हरण अनन्ता ।
पूतनारि शकटारि
सुकर्मा । सत्य सनातन सुभग सुधर्मा ॥
अघनाशन दीनों के पालक । नन्दनन्दन यशुमति के बालक ॥
इन्द्र मान मर्दन
सुखदाई । दुःख हरता यादव यदुराई ॥
यादवेंद्र प्रियतम
मथुरेशा । सर्व व्यापक शाम सुरेशा ॥
दोहा
वासुदेव गोकुल पति, विश्व विनोद विराट ।
सर्व रूप सर्वज्ञ सम, सकलेश्वर सम्राट ।।
चौपाई
रासबिहारी
त्रिभुवननायक । त्रैलोक्याधिपति
सुखदायक ।।
विमल शुद्ध बुद्ध गुणसागर । कालिंदी प्रिय नटवर नागर ॥
चक्रपाणि वर द्वारकाधिशा । सकल अनीह सकल भुवनीशा ॥
गीतागायक चतुर
प्रवीणा ।
अजर, अपर भक्तनआधीना ।।
परमधाम पापारि पुनीता । चिदानन्दघन अजय अजीता ॥
गोकुलेशा पार्थ हितकारी । मोह विमोचन शिशुपालारी ॥
ज्ञानरूप पीताम्बरधारी । योगेश्वर नेतज्ञ बिहारी
॥
जगत गुरु गोपेंश
गुवाला । हलधरभ्राता नन्द के लाला ॥
सर्वाधार सकल मनरंजन । नृत्य कलानिधि मोह विभंजन ॥
गुण सागर वेदज्ञ
अनादि । पूर्णकाम पुरातन आदि ॥
देवकी सुवन चक्रधर
चातुर । माया नाशन अघहर ठाकुर ।।
द्वारकावासी सबल
सुजाना । अटल निरंजन कला निधाना ।।
परमात्मा दुःखताप के हारे । विप्र सुदामा जी के प्यारे ।।
दारिद्रमोचन
मुक्तिदाता । चाणूरारी
सुभद्रा भ्राता ॥
गोकुल चन्द्र प्रलय
के कर्ता । मदन मोहन नीचसंहरता ।।
लीला पुरुषोत्तम सुर सई । धर्म धुरीण अवैर नियाई ।।
दोहा
गो रक्षक अमराधि पति, गोप बन्धु गोपीश ।
गर्वहरण मंगल करण, त्रिभुवन पाल महीश ।।
चौपाई
यज्ञ रूप यज्ञेश
सुलोचन । कर्मवीर कर्मेश मोक्षधन ॥
रुक्मिणीपति पुनीत
अपारा ।
जीववंति के प्राणअधारा ॥
अतुल अमोघ प्राक्रमी योद्धा । देवकी प्राणाधार सबोधा ॥
देवन देव देवकीजाय । शीलवन्त शीलेश सुभाय ॥
अर्जुन रक्षक वीर
महान । भूसुर बंधु महा विद्वान ॥
परम उदार संसार
विभूती । पर स्वारथी अविकार विभूति ॥
श्रेय प्रेयहिति कलिमलनाशन
।
काम क्रोध मद मोह विनाशन ।।
अहंकार मर्दन वैरागी
। रोम रोम व्यापक मोह त्यागी ॥
दोहा
ऋषिवर मुनिवर योगीवर, सुरवर वर वारीश ।
श्रीयुत धीयुत मानयुत, संत महंत यतीश ॥
चौपाई
जलपति थलपति नभपति
रक्षक । दनुज विनाशन दुष्टन भक्षक ॥
सदा एक रस मानव हंसा
। माधव चंद्रवंस अवतंसा ॥
यदुकुल पालक शूर
धुरंदर ।
दया निवास कृपा के मंदिर ।
अति पवित्र पूज्य जगदीशा
। अतुल प्राक्रमी जांबवतीशा ॥
शांति रूप स्वरूप अनुपा । क्षमा निधाना भूवन भूपा ॥
संदीपन उर वासी सज्जन । निथिपति अशरण शरण दयाघन ॥
करुणा सिन्धु अलेख अदेहा । भक्त देव अथाह अगेहा ॥
धरा धीश नरनाह उरवासी
। मंडलेशा पंडित सन्यासी ॥
दोहा
स्थावरेश जंगम पति, अमर ज्योति सिद्धेश ।
तेजपुन्ज दुष्कर्म हर, अमर धाम अमरेश ॥
चौपाई
वृज मानक पूर्ण
अवतारा । अरि मर्दन वसुदेव कुमारा ॥
सहस्त्र बाहु
सहस्त्रानन धारी । सहस्त्र सीस
सात्विक आहारी ॥
सहस्त्र कोटि
रविपुञ्ज प्रकाशा । सूक्ष्म स्थूल अखंड तमाशा ।।
निकटवर्ति नेता निष्कामी । गोपीजन लोचन अभिरामी ॥
पतित उभारन यशनिधि
साजन । धर्मी धीर विमल यश भाजन ॥
मनवासी मनमय मद भजन ।
निर्मल निरिच्छ सकल निरंजन ।
विश्व विपूजित विश्वनिवासा । विश्व पिता विश्वेश
अनासा ॥
महीमाय मही पालक योद्धा ।
समदर्शी सदभाव अबोधा ॥
दोहा
अमृतमय धरणीपति, मोह नाशन
बलवान ।
कली मदहारी पिता,
कृपानाथ धीमान ॥
चौपाई
सतवति रजवति तमपति
तारक । पापारि धाता सुप्रचारक ॥
महा प्राज्ञ विज्ञ विदु वदना । ऋक्मिणि हरण
सुमंगल सदना ॥
दिव्य भव्य भावुक अति प्रेमी । नियम रूप नियमेश्वर नेमी ॥
अच्युत भक्त परायण साहसी । अर्जुन मित्र त्रयताप
विनासी ॥
अंबुजाज्ञ शुभ दया निधाना । निर्विकल्प नर नाथ महाना ।।
सार्वभौम सकल हृदेशा ।
न्यायाधीश सुकर्म सुवेशा ॥
अव्यय माखन हरण
सुविक्रम । अलखगति
नायक अजगतश्रम ॥
मथुराधीश उपद्रव हीना । अप्रमेय भक्तन आधीना ।।
दोहा
असुर निकंदन दुःख हरण,
कंसारातिः सुमित्र ।
कीर्तनेश संगीत प्रिय,
सुधा समान सुचित्र ॥
चौपाई
गोपस्वामी गोपेश
पुनीता ।
गोप मित्र गोस्वामी अतीता ॥
रहितकलंकु चन्द्र यदुभूषण । रहित क्लेश
दिनेश सुआनन ।।
कृपाकार कोकिल स्वर
प्रियवत । महामारी नागन द्विज रिपुहत ॥
शुभ चिन्तक करुणानिधि
बलधर । पार्थसारथी सत्यभामावर ॥
सुरत्राता शाश्वत
सुरनायक । विश्व विपूजित शुभ वरदायक ॥
धन्वी विभु यशोदानन्दन । कृपा करण मंगल प्रद विद्वन ।।
कोकिल कण्ठ कृपा के
मन्दिर । जरा विघातक
सुदर्शन मनहर ॥
यमलार्जुन दुःख मोचन प्रियतर । जांबवती मनमोहक सुख कर ॥
दोहा
कंसकाल रवि कोटिसम,
कमलाक्षी महाभाग ।
तृणावर्तनाशन लला,
कालिन्दी अनुराग ।।
चौपाई
द्वारकेन्द्र कुन्ती
सुत रक्षक । पांचजन्य प्रिय भवभयभक्षक ।।
दैत्य दर्प हारी बलधारी । कम्बु ग्रीव सुत्र नीवारी ॥
अति शुभ लक्षण युतशुभचिंतक । मलहर गोपी वस्स्त्रोपहारक ॥
पुण्य श्लोक पुण्य
प्रदकारण । शास्त्र विशारद क्लेश निवारण ।।
महानुभाव महामति मानी । ज्ञान धाम ज्ञानेश्वर ज्ञानी ॥
शरणागत वत्सल अहीरा । धर्म धुरंधर
अतिशय वीरा ॥
द्रौपदी भयत्राता सुख
साधन । साक्षी रूप अभेद सुआनन ॥
ब्राह्मण प्रिय
ब्रह्मण्य व्रजेशा ।
बंदी निवारण उत्तम वेशा ॥
दोहा
सर्व धर्म मय ज्ञानमय,
गुणमय गोधन ईश ।
सहस शीशयुत भवपति,
यदुकुल सोम यतीश ॥
चौपाई
गोप प्राणप्रिय गोप
दुलारे । गोप सखा गोपेश्वर प्यारे ।।
पूर्णानन्द पूर्ण धन
पूरण । पूर्ण प्रणपाल विदूरण ।।
भक्त बंधु भक्तन
भयहारी । भक्त सखा पीतांबर धारी ।।
भक्ताधीन भक्त मनवासी । भक्त विनोद भक्त सुख
रासी ॥
भक्तन भयत्राता दुःख
हारी ।
भक्त प्राणप्रिय बहु सुखकारी ॥
कृपा सदन करुणेश कमल
मुख । सरल हृदय सुख सदा सदन सुख ॥
उपमा योग्य गुणन रत्नाकर । प्रातःस्मर्णी
ऋक्मिणी प्रियवर ॥
नीलकमल सम नभ सम अंगा
। अरि अणि नाशक अरिमन भंगा ॥
दोहा
कोटिबाहु कोटिचरण, कोटि भुजा अपार ।
कोटि नेत्रवर कोटी कर, कोटी कोटि श्रृंगार ॥
चौपाई
मन मथ मनहर मनुज
लजावन । मदन मान हरता अरितावन ॥
शिवपूजित विश्वंभर
श्यामल । ब्रह्मापूज्य विनाशन कलिमल ।।
नन्द बाल आनन्द
बिहारी । नन्द भगिनीसुत
शकरारी ।।
नन्द नेत्र सुख शोभा
धामा । उग्रसेनलोचन अभिरामा ।
भारत भूषण भारत स्वामी । भारत प्रिय भक्तन अनुगामी ॥
जन्म मरणहरता मुक्तीशा । करुणाकार दया बारीशा ॥
विघ्न विनाशन विघ्न
विहंता । विघ्न हरण विघ्नारी सुसंता ॥
सुखदाता सुखगृह
सुखकारण । सुख सुधी दुष्कर्म
निवारण ।।
दोहा
गोप्रिय द्विजप्रिय
धर्मप्रिय, मर्यादा प्रियनाथ
।
बनप्रिय गिरिप्रिय
वारिप्रिय, प्रियनवनीत सुनाथ
।।
चौपाई
शीतल मन शीतल
मुदुवाणी । शीतल हृदया निराभिमाणी ॥
सुन्दर नैन सुग्रीव
सुआसन । सुन्दर तन सुध्यान सुशासन ।।
सुन्दर मूर्ति सुन्दर
केशा । सुन्दर अधर सुनाम सुरेशा ।।
सुन्दर गात्र मनोहर वचना । सुन्दर कटि सुन्दर शुभ रचना ।।
सुन्दर मकुट
सुमुरलीवाला । सुन्दर करमा सुन्दर काला ।।
सुन्दर गीत उचारण
वाला । सुन्दर पर्वत धारण वाला ।।
सुन्दर शाम अलक के
धारी । सुन्दर शिर सुन्दर आहारी ॥
सुन्दर नख सुन्दर पद
वारा । सुन्दर उर सुन्दर सुविचारा ।।
दोहा
मंदहास्ययुत शुभ
मुकुट, शुभ शोभा सम्पन्न ।
शुभ कांक्षि शुभगुण
सदन, शुभ आसीन प्रसन्न ॥
चौपाई
सुरुवर्धक सुखदाता
सुखकर ।
सुखगृह सुखमय सर्व दुःखहर ।।
सुख स्वरूपधर सुख सन्देशा ।
सुख पयोधि सुख सहित सुखेशा ॥
सुख भाजन सुखनिधि सुखराशी
। सुखसागर सुखधाम सुभाषी ॥
सुख संगीत के गावन
हारे । सुन्दर साज सजावन हारे ॥
सुखकारी दुःख हरण
दयामय । दुःख निवारण अव्यय अक्षय ॥
दुःख विनाशी दुःख नशाबन । दुःख विमोचन दुःख मिटावन ॥
दुःख विहंता दुःख
विदारी ।
दुःखारी दुःख सकल निवारी ।।
दुःख की नदी शोषण हारे । दुःख से पार उतारन वारे
।।
दोहा
प्रणपालक प्रण
सिद्धकर, प्रण में पूर्ण प्रवीण ।
जीवोद्धारण रिपुहरण,
परमानन्द नवीन ॥
चौपाई
धेनु प्रिय धेनु हितकारी । धेनुरक्षक गो मन हारी ।।
धेनु दोहक धेनु
प्रियतम । धेनु पालक यति विशालम् ।।
यदुकुल कमल दिवाकर
साजन । जलवर वर्ण सुजाति सुभाजन ॥
नभ वर्ण सुकवि गंभीरा
। भव दुःखहरण हरण भव पीरा ।।
श्रुति रक्षक अगमक्ष
सुपंडित । धर्म विभूषण अकथ अखंडित ॥
धर्म ध्वजाधर धर्म विताना ।
धर्मागार सुधर्मि सयाना ।।
धर्म-व्रती धर्मेश
धर्म-धर । धर्म सुरक्षक महा पाप हर ।।
धर्म समुद्र धर्म
पंचानन । धर्म विशारद धर्म सुकानन ॥
दोहा
धर्म देव धर्मी धर्म, धर्म रूप अविकार ।
धर्म बन्धु धर्मात्मा, धर्म कर्म अवतार ।।
चौपाई
असुर रिपु असरन मद
हरता । असुर विनाशन असुर संहरता ॥
असुर विदारन असुर
विहंता । असुर मानहर प्राण निहंता ।।
जन असंत नाशन द्विज
बन्धु । द्विज पालक शुभ कर्मण सिंधु ॥
ब्रह्म हत्यादिक पाप
निवारन । परम पूज्य पतितन तन तारन ।।
दम्भहीन पाखंड विहीना । गुण गृह षोडश कला प्रवीना
।।
पुरुष पुराण परा
विज्ञाता । अपरा विज्ञ सुशोभित ताता ॥
गुण ग्राहक कवि
भूषण कविवर । कविता कामिनी कांत मनोहर ॥
काव्य कलानिधी कवि
कुल भूषणा । कविकुल मुकुटमणि
कविता धन ॥
दोहा
काव्य विनोदी काव्य
प्रिय, काव्य कला श्रृंगार ।
काव्य पयोनिधि कवि
रतन, काव्य समुद्र अपार ॥
चौपाई
चन्द्रानन बिद्विन सुशीतल । ज्ञोभा
सागर हरण सकल मल ॥
शोभानिधि शोभायुत
श्यामल । शोभा पुञ्ज शशिवदन विगतछल
॥
शोभानाथ शिखा रखबारे । शोभा धाम त्रिभुवन से
न्यारे ।।
शोभागिरि शचिपति के
प्यारे । शोभा चन्द्र शोभा उजियारे ।।
शोभा मणि शोभा के
नायक ।
विष्णु उपास्य धर्म के सायक ॥
ब्रह्मा भय हरता
शिवताता ।
सकल गुणज्ञ
सिद्धि के दाता ॥
सुख हेतु सुख कारण
प्रभुवर । क्षमी क्षेम करण बंसीधर ॥
ऋक्मिणी हरण ऋक्मिणी नाथ । ऋक्मिणी प्रभु सुदर्शन हाथ ।।
दोहा
पांडव बन्धुवर सखा
पांडू पुत्र रखवार ।
कुन्तीसुत रक्षक सदा, अर्जुन के प्रिय यार ।।
चौपाई
कैवल्य स्वरूप प्रणव के प्यारे । प्रणव प्राण सम जानन हारे ॥
प्रकृति पति प्रकृति
प्रतिपाला । प्रकृति सृजन पराकृत लाला ॥
परम जीव परमारथ परमा । परम पुरुष पर स्वारथि धर्मा ॥
जीव बन्धु प्रियजीवन दाता । जीव
मोक्ष कर जीव संहाता ॥
जीवेश्वर जीवाधिपतीशा
|
मुनि मन वासी मुनि वरीशा ॥
अनुपम आशु कवि अतुलित
बल । अनामय अति चतुर
विगत चल ।।
दोहा
अति स्थूल सूक्ष्म
अति अति निकट अति दूर ।
अति पवित्र अति अद्भुत अति सुन्दर भरपूर ॥
चौपाई
दुर्योधन मद हरता धीरा । व्याधिविनाशन
विक्रम वीरा ॥
भव विनोद भय नाशत
कारी । भक्ति स्वरूप भयानक भारी ।।
सृष्टि रूप सृष्टि से
न्यारा । सृष्टिपति सृष्टि उद्धारा ॥
सृष्टि सृजन सृष्टि
मनमोही । सृष्टि लयकर अश्वारोही ॥
उद्धवसखा उद्धव के प्यारे । उद्धवमित्र उद्धव
हितकारे ।।
उद्धव भ्रमनाशक उद्धवेशा । उद्धवप्राण उद्धवसर्वेशा
॥
प्रेमगुरू प्रेमीप्रणपालक
। कर्म प्रबोधि धर्म संचालक ।।
भीष्ण प्रण पालक रथचक्रवाही
। आलस नाशन परमोत्साही ।।
दोहा
रणप्रिय रणनर वांकुरा, रण भूषण रणवीर ।
रणनायक रणविजयि नित
रणयोद्धा रणधीर ॥
चौपाई
नित नूतन नित देव
पुरातन । नित्य युवावर नित्य सुघड़तन ।।
दुग्ध - दुही दूध के
प्यारे । दुग्ध स्नेहि दुग्ध
दहिवारे ॥
गोचारक गोसेवक गुणिवर
। त्रिभुवन भूषण त्रिभुवन मनहर ।।
अंडज करता स्वदेज
करता । उद्बीज करता जारज करता ॥
अनु व्यापक परमाणु व्यापक ।
पापीदलन असुर तन तापक ।
सिद्ध सुशील सदा सत
भाषी । लक्षभेदी लक्षेश सुभाषी ॥
शुभ लक्षणयुत सुन्दरनामा
। सकल सिद्धिकर भव विश्रामा ॥
मनवासी मनमन्दिर वासी
। मोहघातक मोहमाया नासी ॥
दोहा
गोप प्राण गो हितु, गोपी प्रिय गोपेश ।
गोकुलेंदु गो दुःख
हरण, सत्यसिंधु सत्येश ।।
चौपाई
सत्य दूतवर सुव्रत
धारी । ब्रह्मरुप ब्राह्मण ब्रह्मचारी ॥
नीलकमल सम वर्ण
सुवर्णा । सुभ्र सुन्दर वचन सुकर्णा ॥
शठ शोधक शठ पावन करता
।
शठ साधक शठ संहरता ॥
खल नाशन खल जीवन हरता
। खल संहारन शोधन करता ।।
साधु प्राणप्रिय साधु
स्वामी । साधुवल्लभ साधु
अनुगामी ।।
साधु सज्जन साधु
हितकर ।
साधु सेवक साधु अघहर ।।
साधु मित्र साधु हितकारी ।
साधु हृदय निधि पुजारी ॥
साधु विपत हरता स्वयं साधु । अमल अनीह अथाह
अगाधु ।।
दोहा
साधु पक्ष समर्थन
साधु मन लवलीन ।
साधु पालक साधुवर
साधु के आधीन ॥
चौपाई
सज्जन प्रेमी सज्जन
ताता । सज्जन बन्धु सज्जन भ्राता ॥
सज्जन दुःख हरता सत्करता । सज्जन प्रतिपाला सत्भरता ॥
सज्जन हितकर सज्जन
मीता । सज्जन अघहारी सुपुनीता ॥
सज्जन शुभकरता मलनासी
। सज्जन सदन सज्जन उरवासी ॥
सज्जन मात पिता सत्पालक । सज्जन सुखद असज्जन घातक ।
सज्जन हृदय निवारन
करता । सज्जन सखा असज्जन हंता ॥
सज्जन गृह दीपक
सदवाणी । सज्जन रुप सुदर्शन पाणी ॥
सज्ज कमल रवि संवादी । सज्जन कष्ट विहरण सुवादी ।
दोहा
दुर्जनघातक सुखकरण, दुर्जन कुल विध्वंस ।
दुर्जन नाशन नवनिधि, सज्जन मानसहंस ।।
चौपाई
द्वि भुजनाथ चक्र कर धारी
। कार्य विचित्र महा छवि न्यारी ॥
रण में शंख बजावन
हारे । कुन्ती सुत के
प्राण प्यारे ॥
श्रीमति पृथा के
प्राणाधार । विदुरानी के पावन प्यार ।
द्रुपद सुता के सब
दुःख हरता । भुवि
नारी के पावन भरता ।।
अखिल विश्व के पालन
हार। पाप हरण हैं नाम हजार ॥
नाम सहस्त्र सकल सुख
दाता । नाम सहस्त्र सकल भय त्राता ॥
नाम सहस्त्र मोक्ष के
दायक । नाम सहस्त्र पाप हर सायक ।।
नाम सहस्त्र भक्त जो
गावें । वह भव सागर से तर जायें ॥
दोहा
नाम सहस्त्र दयाल के, जो ले प्रातःकाल ।
मिट जावे आवगमन, मिटे सकल जंजाल ।।
पावन नाम सहस्त्र यह, जानो इक जलयान ।
चढ़हि जो प्रेमी
प्रेम से, पार करें भगवान ।।