प्रेरणादायी कहानी - वहीं काम करे जो खुद को सही लगे - preranadai hindi kahani

प्रेरणादायी कहानी - वहीं काम करे जो खुद को सही लगे - preranadai hindi kahani

 वहीं काम करे जो खुद को सही लगे 

किस प्रेरणादायी कहानी को जानने के बाद आपके जीवन में वो परिवर्तन आये जिसके बारे में सोच कर आप स्वयं नहीं अनुमान लगा पाये कि जीवन को ऐसे भी जिया जा सकता है? ऐसी ही कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं ध्यान से पढ़िए जनाब

एक मूर्तिकार एक मूर्ति बना रहा था। इस पत्थरनवीस को सारा शहर लहरी कहता। दिल में आए तो एक मूर्ति बनाने मे महीनों लगा दे। और दिल करे तो किसी रईस को दो टूक जवाब दे कर चलता कर दे। पर उसकी कलाकारी की तूती बोलती थी पूरे पंचकोसी में वह काफी प्रसिद्ध था। अच्छे अच्छे कलाकार उसकी करागिरी देखकर उसके आगे शीश झुकाते थे।

भगवान की मूर्तियां बनाने मे उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता था। श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति तो ऐसे गढ़ता, उनकी मूर्ति ऐसी बनाता की देख के लगे अभी मधुर बोल फूटेंगे उनकी हातो की बासुरी से। भाव विभोर श्रीकृष्णा और उनके गीत सुनती गौमाता की मूर्ति तो उस राज्य के राजा के मन में बस गई थी।

तो एक निहायत ही रईसजादा अपनी अमीरी का रौब झाडने के लिए एक सुन्दर अप्सरा की मूर्ति अपने घर कर बरामदे मे रखना चाहता था। ऐसी सुन्दर हो कि उसकी झुकी पलके उठे और बेसुध अपने ओर रुख कर दे। हल्की हल्की मुस्कान बिखरते उसके होंठ थरथराते हुए अपना नाम ही पुकार ले।

अब इस बला की पेचीदगी भरी मांग को कोई पूरा कर सकता तो वो ये ही मूर्तिकार। तो इस खरीददार ने इसके काम करने की जगह की ओर रुख कर लिया।

खरीददार वहां आया तो उसने देखा जो मूर्ति मूर्तिकार बना रहा था वैसी ही मूर्ति उसको चाहिए थी। एक दीवान पर औंधे मुह सो रही एक अप्सरा। बोझल सी आंखे। ना जाने क्या सपना देख रही है। कपड़ों की बारीकी और एक झिरझिरा सा वस्त्र जिससे उसका आधा मुँह ढका। कपड़ों की सिलवटें ऐसी जीवंत के लगे शरीर का नज़ारा अभी आखों के सामने आ जाये। चूडी की खनखनाहट शायद सुनाई दे जाए और उस बेसुध पडी अप्सरा के मुँह से कहीं अपना ही नाम ना निकल जाए।

उस खरीददार का दिल उस मूर्ति पर आ गया। चाहे जो कीमत हो। "कितने के है ये मूर्ति?" गुरूर भरी आवाज मे उस खरीददार ने मूर्तिकार से पूछा। उस मूर्तिकार ने उसके ओर हिकारत भरी नजरो से देखा। शायद ऐसा अहमकाना अंदाज उसे पसंद नहीं आया। उसने कुछ भी नहीं कहा और अपने काम मे लग गया। इस फटीचर मूर्तिकार के सामने कुछ पैसे फेंक दु तो इसकी सारी अकड़ निकल जाएगी। परसों बड़े सर सेठ आने वाले है हवेली पर। उनके सामने ये मूर्ति आ जाए तो अपनी शान कई गुना बढ़ जाए।

उस खरीददार ने फिर से पूछा। मूर्तिकार ने कुछ समय जाने के बाद बेमन से कहा, ये बिकाऊ नहीं। इस मूर्ति को सीढियों पर लगवाना है। र ये तो मेरे आलिशान हवेली की शोभा बढ़ाएगी, खरीददार ने मन ही मन सोचा। उससे कुछ कहता उससे पहले उस मूर्तिकार ने उसे अंदर जाने को कहा, आपको जल्दी है तो कुछ अंदर से पसंद कर लीजिए।

मन मसोस कर वो खरीददार अंदर गया। चारो तरफ कुछ अपनी पसंद का मिल जाए जो इस मूर्ति से भी सुन्दर हो। अचानक उसकी नजर एक कोने मे गई। जो मूर्ति उसने बाहर देखी वैसी ही एक मूर्ति अन्दर रखी हुई थी। वैसे ही नाक नक्श, वो ही मादक नजरे और वैसा ही अंदाज।

खरीददार बाहर आया। उसने दोनों मूर्तियों की तुलना फिर से की। रत्ती भर भी फर्क़ नहीं था। उसने अंदाजा लगाया, फिर उससे पूछा, "तुम एक जैसी ही मूर्ति क्यों बना रहे हो?" मूर्तिकार ने कहा, "श्रीमान् उस मूर्ति मे एक दोष रह गया है इसलिए मैं वैसी ही और एक पत्थर की मूर्ति बना रहा हूँ ।"

खरीददार ने उस पहली मूर्ति को ध्यान से देख कर कहा, "मुझे तो कुछ नहीं दिख रहा।" मूर्तिकार ने कहा, " आप फिर से देखिए उस मूर्ति के दाहिने कान के पीछे देखो एक कपची उड़ गई है। देखो जाके"

वो खरीददार अंदर गया। उसने उस मूर्ति को ध्यान से देखा, कान के पीछे हाथ लगा कर परीक्षण करने के बाद जरा सा उबड खाबड हिस्सा था तो सही। मूर्ति को सामने से देखने पर वो नजर नहीं आ रहा था। रीददार खिलखिलाकर हंसा और उसने कहा, "अरे भाई किसी को भी पता नहीं लगेगा की इस मुर्ति में दोष हैं । इतनी बारकाईसे कोई नहीं देखता"

यह सुन कें मूर्तिकार ने उसकी और देखा और कहा, "आप सही है किसी को पता नहीं चलेगा पर मुझे तो पता है ना। इसलिए मैं खुश नहीं हुंं। और इसीलिए दूसरी मूर्ति बना रहा हूं आपको अगर खरीदनी है तो अंदर वाली मूर्ति खरीद सकते हैं" 

रईसजादा काफी आश्चर्यचकित हुआ और उसने भी मन ही मन में मूर्तिकार की प्रशंसा की। अंदर रखी हुई मूर्ति को अच्छे दामों में खरीदा और वहां से निकल लिया।

कहाणी का तात्पर्य :- 

अगर अपना काम जब इस मूर्तिकार की तरह हम करने लगेंगे तब हमें अपने काम का पूरा समाधान मिलेगा। अपने काम को पूरा 100% दे। किसी दूसरे को नहीं, अपने आप को लगना चाहिए हां, अब पूरा हुआ है ये काम। तभी आएगा वो असली हास्य। असली समाधान और जिंदगी का मजा 

जिंदगी ऐसे जिए मित्रो ।

Thank you

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